शहडोल जिले की माध्यमिक शालाओं में आयोजित निदानात्मक कक्षाओं में कमजोर छात्रों की वास्तविक स्थिति का अध्ययन
चन्द्र कुमार सिंह
शोधार्थी ने शहडोल जिले की माध्यमिक शालाओं में आयोजित निदानात्मक कक्षाओं में कमजोर छात्रों की वास्तविक स्थिति का अध्ययन किया। निदानात्मक शिक्षा में बालकों की अशुद्धियों का संशोधन किया जाता है। बालक के पिछड़ेपन, दुर्बलताओं का ज्ञान होने, उनके निराकरण के लिए जो कार्य किया जाता है उसे निदानात्मक शिक्षण माना जा सकता है। निदानात्मक शिक्षण के पूर्व उसके कारणों का ज्ञान होना नितान्त आवश्यक है इसके साथ ही बालक की प्रकृति का ज्ञान भी आवश्यक है। निदानात्मक कक्षाओं से कमजोर छात्रों के गणित विषय में 50 प्रतिशत कठिन अंशों का निराकरण होता है ऐसा मत 69.34 प्रतिशत शिक्षकों का है, 25 प्रतिशत ही कठिन अंशों का निवारण होता है ऐसा मत 20.00 प्रतिशत शिक्षकों का, 75 प्रतिशत ही कठिन अंशों का निवारण होता है ऐसा मत 10.66 प्रतिशत शिक्षकों का है साथ ही 100 प्रतिशत कठिन अंशों का निवारण नही हो पाता है। जिले में 72.00 प्रतिशत प्राचार्यो एवं 78.67 प्रतिशत शिक्षकों का अभिमत है कि माध्यमिक स्तर में निदानात्मक कक्षाओं से शिक्षक उनकी त्रुटियों एवं कमियों को दूर करने का प्रयास करते है।
चन्द्र कुमार सिंह. शहडोल जिले की माध्यमिक शालाओं में आयोजित निदानात्मक कक्षाओं में कमजोर छात्रों की वास्तविक स्थिति का अध्ययन. International Journal of Advanced Educational Research, Volume 1, Issue 5, 2016, Pages 25-29