भारतीय शिक्षक शिक्षा की स्थिति : विश्वविद्यालयों एवं महाविद्यालयों के संदर्भ में
अजीत कुमार यादव
यह सर्वविदित सत्य है कि शिक्षा किसी भी व्यक्ति राष्ट्र समाज के विकास की संजीवनी है। शिक्षा का सम्बन्ध केवल साक्षर बनाने से नहीं बल्कि व्यक्ति को आत्मनिर्भर, भावनात्मक एवं प्रज्ञाशील बनाने से है। ऐसी स्थिति में एक योग्य शिक्षक ही योग्यतम् उत्पादन कर सकता है। जिसमें उत्तम शिक्षण विधियों, सहायक उपागम के प्रयोग की प्रभावशाली जानकारी एवं योग्यता हो, इस गुण को धारण करने के लिये शिक्षकों को भी व्यापक शिक्षण एवं प्रशिक्षण देने की आवश्यकता होती है जिसकी पूर्ति अध्यापक शिक्षा के पाठ्यक्रमों से होती है। अंतर्राष्ट्रीय समुदाय ने 2000 में यह तय किया कि शिक्षा मानवाधिकार है और योग्य शिक्षा पाने का सभी को अधिकार है। ऐसे लक्ष्यों की प्राप्ति के लिये हमें व्यापक प्रयास करने होंगे और अपने अध्यापक शिक्षा कार्यक्रम को और भी व्यापक, सरल, लचीला और सर्वसुलभ बनाना होगा जिससे विश्वविद्यालय हो या महाविद्यालय सभी जगहों पर योग्य शिक्षकों के माध्यम से शिक्षण कार्य सम्पादित किया जाये। वर्तमान परिस्थितियों में कहीं न कहीं हम स्थापित मानकों को पूर्ण करने में सफल नहीं हुये हैं जिसके कारण शिक्षण शिक्षा के क्षेत्र में व्यापक विसंगतियां फैल गयी है। जिसको आगे शोधार्थी द्वारा पत्र में उजागर किया गया है।
अजीत कुमार यादव. भारतीय शिक्षक शिक्षा की स्थिति : विश्वविद्यालयों एवं महाविद्यालयों के संदर्भ में. International Journal of Advanced Educational Research, Volume 3, Issue 2, 2018, Pages 221-223