भारतीय संविधान में भारत के प्रधानमंत्री की उपादेयता एवं महत्व का अध्ययन
आरती द्विवेदी, डाॅ0 गायत्री मिश्रा
भारत की संसदीय शासन प्रणाली में कार्यपालिका का वास्तविक प्रमुख प्रधानमंत्री होता है। लोकतांत्रिक व्यवस्था एवं संसदीय शासन प्रणाली में प्रधानमंत्री का पद विशेष महत्व का होता है। देश में लोकसभा निर्वाचन के उपरान्त राष्ट्रपति बहुमत के साथ विजयी राजनीतिक दल के नेता को प्रधानमंत्री पद पर नियुक्त करता है। शासन की वास्तविक शक्तियाँ प्रधानमंत्री में होती है क्योंकि वह मंत्रिपरिषद का अध्यक्ष होता है, जब तक प्रधानमंत्री को लोकसभा में बहुमत प्राप्त है, उसकी शक्तियां असीमित है।
भारत के प्रधानमंत्री की संवैधानिक व राजनैतिक मामलों में सबसे अहम भूमिका रहती है। प्रधानमंत्री देश के सम्पूर्ण मंत्री परिषद का मुखिया होता है। वह मंत्री परिषद की बैठकों की अध्यक्षता करता है। मंत्रि परिषद सामूहिक रूप से लोकसभा के प्रति उत्तरदायी होती है। सरकार की वास्तविक शक्ति मंत्री परिषद में निहित होती है। मंत्रियों का चयन उसके मध्य विभागों का बटवारा एवं उन्हें पद से हटाने का अधिकार प्रधानमंत्री के पास होता है। शासन की नीतियों का निर्धारण करने में प्रधानमंत्री की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। मंत्री परिषद का कोई भी सदस्य प्रधानमंत्री की इच्छा के विरुद्ध कार्य नहीं कर सकते हैं। मंत्रि परिषद की सम्पूर्ण कार्यवाही गोपनीय रहती है। कोई भी मंत्री इसे प्रगट नहीं कर सकता। मंत्री को अपने पद ग्रहण करने के पूर्व गोपनीयता की शपथ लेनी पड़ती है।
आरती द्विवेदी, डाॅ0 गायत्री मिश्रा. भारतीय संविधान में भारत के प्रधानमंत्री की उपादेयता एवं महत्व का अध्ययन. International Journal of Advanced Educational Research, Volume 3, Issue 3, 2018, Pages 51-57